युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
लड़ना छोड़ समस्या से हम आभास से लड़ते हैं
जूझना है पतझड़ से हम मधुमास से लड़ते हैं
सांस लेना दूभर कहीं कहीं बिखरे घने अंधेरे हैं
लड़ना तो तिमिर से है पर हम उजास से लड़ते हैं
ग़म की गर्द मिटानी है उदास अनगिनत चेहरों से
करना प्रयास विकास का हम इतिहास पे लड़ते हैं
कोई यकीन नहीं है साथ चलती परछाई पर भी
छोड़ सारे मजबूत रिश्ते हम विश्वास से लड़ते हैं
भरोसे सबके तोड़ अजीब सा बर्ताव करने लगे हैं
लड़ना छोड़ हर बुराई से हम नव प्रभास से लड़ते हैं
डॉ0 टी0 महादेव राव
विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)
9394290204