युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
हे शिव शंभु,हे भोलेनाथ,
तुम त्रिकालदर्शी तुम शूलपाणि
तुम डमरू धारी,त्रिपुरारी,
गले मुंडमाल,जटा गंगा विराजमान,
करते नंदी की सवारी,
अच्युत, अटल तुम अन्तर्यामी।
मृदु रूप में तुम भोलेबाबा,
रौद्ररूप से कंपित हो जग सारा
पार्वती पति करुनानिधान,
तुम ही अमृत ,तुम ही विध्वंसकर्ता,
नीलकंठ बन किया विषपान।
भक्तों के तुम दुःखहर्ता,
पाप विमोचन सुखकर्ता।
आया सावन मास तुम्हारा,
पावन जल की बहती धारा।
शिव पूजा दुखों का समाधान,
देते अखंड सौभाग्य का वरदान।
तुम सर्वव्यापी और सर्वज्ञ हो,
किसी बात से नहीं अनभिज्ञ हो,
सावन मास मात्र एक बहाना है,
प्रभु भक्ति में जीवन बिताना है।
हे, शशिशेखर करूँ आह्वान,
द्वेष,क्लेश का करो निदान।
डॉ0 रीमा सिन्हा (लखनऊ)