करिये नव उत्कर्ष।

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मिटे सभी की दूरियाँ, रहे न अब तकरार।

नया साल जोड़े रहे, सभी दिलों के तार।।

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बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष।

आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष।।

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माफ करो गलती सभी, रहे न मन पर धूल।

महक उठे सारी दिशा, खिले प्रेम के फूल।।

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गर्वित होकर जिंदगी, लिखे अमर अभिलेख।

सौरभ ऐसी खींचिए, सुंदर जीवन रेख।।

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छोटी सी है जिंदगी, बैर भुलाये मीत।

नई भोर का स्वागतम, प्रेम बढ़ाये प्रीत।।

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माहौल हो सुख चैन का, खुश रहे परिवार।

सुभग बधाई मान्यवर, मेरी हो स्वीकार।।

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खोल दीजिये राज सब, करिये नव उत्कर्ष।

चेतन अवचेतन खिले, सौरभ इस नववर्ष।।

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आते जाते साल है, करना नहीं मलाल।

सौरभ एक दुआ करे, रहे सभी खुशहाल।।

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हँसी-खुशी, सुख-शांति हो, खुशियां हो जीवंत।

मन की सूखी डाल पर, खिले सौरभ बसंत।।

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-डॉ0 सत्यवान सौरभ