आओ भोले से ये मांग लें हम,
जीवन सबका कल्याण करो,
बदला है नया ये बरस जो भी,
बस खुशियों का भंडार भरो।
आओ भोले से ...
बस एक-दूसरे को मदद देकर,
मीठे शब्दों में बात करें,
हो मन में विचार सकारात्मक,
ये भोले से फरियाद करें।
आओ भोले से ...
उसने जो कही तुमने सुन ली,
तुमने जो कही उसने सुन ली,
जो बात बड़ी तो भोले नें,
आकर प्रेम की फुहार करी।
आओ भोले से ....
जो उपज रहे थे कटु विचार,
भोले नें उसमें रस भर कर,
आशाओं की किलकारी से,
जीवन की सारी रुत बदली।
आओ भोले से ...
मन भर जाए संतुष्टि से,
कुछ देने की बस चाह जगे,
जब भोले की धड़कन धड़के,
सुर मेरा भोले संग चहके।
आओ भोले से ...
(142 वां मनका)
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
गांधीनगर, इन्दौर (म.प्र.)