नव वर्ष की शुभकामनाएं
देने -लेने का दिन आया है।
एक नई भोर हुई और
कैलेंडर वर्ष का अंक बदल गया है।
लगता है पिछले कई वर्ष
हम कस्बे के बच्चों की तरह
छते फांदते से फांद गए हें।
न कुछ हासिल किया है और
न किसी को कराया है।
तीन सौ पैंसठ दिन
गिनने में बहुत लगते हैं
कैसे बीत जाते हैं
समझ ही नहीं आया है।
पचास ,साठ,सत्तर,अस्सी वर्षों को
कब -कब जिया और कब सरकाया है।
कुछ वर्षो का अर्सा तो
घंटों दिनों सा बीत गया हे
कुछ सप्ताहों ,महीनों को
सदियों सा बिताया है।
आजतक मुझे नव वर्ष की बधाई
लेने -देने का तुक
समझ नहीं आया हे।
आम लोगों द्वारा इस नव वर्ष को
रात बारह बजे क्यों मनाया जाता है।
हमारे नये दिन का प्रथम प्रहर
भोर चार बजे ही आया हे।
चंदन के वन की तरह
छांव तो दी हे पर
चंदन वृक्ष की तरह मर कर क्या
कभी किसी का जीवन
सुरभित किया है।
अब नव वर्ष तभी होगा जब
नूतन गात में शाश्वत
आत्मा को पाया है।
बेला विरदी
1382, सेक्टर-18
जगाधरी (हरियाणा)
8295863204