युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। मथुरा हाईवे स्थित राधापुरम कालोनी स्थित मन्दिर के प्रांगण में चल रही शिवपुराण कथा में व्यासपीठ से पंडित राजेश अग्निहोत्री ने कहा कि स्त्री हमेशा पराधीन रहती है। बचपन में पिता जी के अधीन, पिता की अनुपस्थिति में भाई के अधीन, विवाह के बाद पति के अधीन,पति की मृत्यु के बाद पुत्र के अधीन रहती है। पार्वती जी ने अपनी मां को दुखी देखा तो समझाते हुए कहा कि सुख दुःख जो लिखा लिलार हमरे,सुख दुःख जो हमारे भाग्य में लिखा है उसे हमें भोगना ही पड़ेगा। चाहे जहां चली जाऊं।
अवश्यमेव हि भोक्तव्य कृतम््कर्म शुभाशुभम। जीव जो भी शुभ अशुभ पाप पुण्य कर्म करता है उसका फल निश्चित भोगना पड़ता है। जिस प्रकार शरीर के साथ जिस प्रकार शरीर की छाया रहती है उसी प्रकार सुख दुःख हमेशा जीव के साथ रहते हैं। पार्वती जी की विदाई का प्रयास पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य ने इस प्रकार समझाया कि श्रोताओं के आंखों से अश्रु धारा बहने लगी श्रोतागण चाहते हुए भी अपने आंखों के आंसू रोक न सके।शिव जी ने हिमाचल राजा और उनकी पत्नी मैना को धैर्य बंधाया।
इस अवसर पर मथुरा वृन्दावन कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा के समस्त सम्माननीय पदाधिकारी कथा में सम्मिलित हुए। डॉ0 श्री वी पी शुक्ला (संरक्षक) अखिलेश तिवारी (संस्थापक) आचार्य श्याम द्विवेदी (अध्यक्ष) विनीत कुमार द्विवेदी (सचिव) आदि लोगों का पंडित राजेश अग्निहोत्री भागवताचार्य ने अंग वस्त्र उढ़ाकर कान्यकुब्ज ब्राह्मण महासभा के पदाधिकारियों का सम्मान किया।