युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
लम्हा-लम्हा खोया है
बस, एक उस पल को जीने को ,
तो बोलो,,कैसे न जज्बात लिखूं !!
दूर होकर भी
छू जाते हो मन को ,
तो बोलो,,कैसे न एहसास लिखूं !!
कितने ही अरमान बहे हैं
संग-संग सागर की लहरों के ,
तो बोलो,,कैसे न सैलाब लिखूं !!
अक्सर जीती हूं लहरों को
मैं कागज़ की नावों से ,
तो बोलो,,कैसे न बरसात लिखूं !!
कुछ तो तुमसे कहना था
पर, 'वक्त' नहीं था साथ मेरे,
तो बोलो,,कैसे न 'मन की बात' लिखूं !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश