युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
आजमगढ़ । जनवादी लेखक संघ एवं स्पीच पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान मेंजनपद की प्रख्यात रचनाकार सरोज यादव की पुस्तक बाल गूंज’ पर एक परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में पुस्तक परिचर्चा और द्वितीय सत्र कवि गोष्ठी में संपन्न हुई। प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार, विचारक साहित्यभूषण आदरणीय राजाराम सिंह ने तथा संचालन सत्यम प्रजापति ने किया। पुस्तक परिचर्चा अध्यक्षता करते हुए श्री राजाराम सिंह जी ने कहा कि बाल गूंज अद्वितीय बाल गीतों का संग्रह है।
यह संग्रह बच्चों के व्यक्तित्व विकास तथा प्रकृति के साहचर्य के साथ जीने का हुनर प्रदान करेगा । बाल गूंज की रचनाकार श्रीमती सरोज यादव ने इन बाल गीतों के लिखने का उद्देश्य बताया और यह कहा कि जब तक हम बाल मन को नहीं समझेंगे तब तक हम बेहतर भविष्य नहीं बना सकते हैं। हमें बाल मन को प्रकृति और अपनी विरासत से जोड़ने के लिए यह जरूरी है कि हम बाल साहित्य को समृद्ध करें।
जनवादी लेखक संघ के जिलाध्यक्ष अरुण मौर्य ने बाल गूंज संग्रह के एक गीत "बगुला भगत" का पाठ करते हुए यह कहा कि इस संग्रह की विशेषता यह है कि सभी गीतों के साथ उपयुक्त चित्रण किया गया है जिससे यह संग्रह आकर्षित करता है। वरिष्ठ कवि बैजनाथ गँवार ने संग्रह के सभी गीतों पर एक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि इस संग्रह के गीतों की विविधता यह बताती है कि यह अद्भुत संग्रह है।
जलवायु पत्रिका के संपादक डॉ0 अजय गौतम ने कहा कि बाल मन को समझे बिना बाल गीतों की रचना संभव नहीं है। इस संग्रह के गीत बाल मन को बेहतर करेंगे। कंचन मौर्या जी ने कहा कि संग्रह में वह सब कुछ है जो बाल मन को चाहिए। डॉ0 प्रतिभा सिंह जी ने कहा कि इस संग्रह को पूरी तन्मयता के साथ लिखा गया है। संग्रह के गीत बच्चों की समझ को बेहतर करेंगे।
स्नेहलता राय जी ने संग्रह के सभी गीतों पर अपनी बात रखी। द्वितीय सत्र के कार्यक्रम की अध्यक्षता जनपद के वरिष्ठ कवि बालेदीन ‘बेसहारा’ तथा संचालन डॉ0 अजय गौतम ने किया। इस कवि गोष्ठी में आदित्य आजमी, राजनाथ, रुद्रनाथ रुद्र, देवेन्द्र तिवारी "देव" जी, स्नेहलता राय जी, प्रतिभा श्रीवास्तव जी, प्रतिभा सिंह जी, अनिल प्रजापति जी, अरुण मौर्य जी, घनश्याम यादव जी, अजय पाण्डे जी, बैजनाथ गंवार जी, उपेन्द्र सिंह जी जयहिंद सिंह जी, श्रीमती सरोज यादव, राजाराम सिंह ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम की मुख्य विशेषता यह रही कि पूरे कार्यक्रम में श्रोताओं ने पूरी तन्मयता के साथ अपनी भागीदारी दर्ज़ कराई। कार्यक्रम को सफल बनाने में कर्मवीर यादव, आशुतोष दूबे, सत्यम विश्वकर्मा, जुन्नुरैन अंसारी का विशेष योगदान रहा।