युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
आयु भरे जीवों में, चेतन रस गरिमा।
'स्वयं' स्वयं में हेरें, जन अंतस दुतिमा।।
आत्मिक गुण सब में हों, नव गुण विधि रच लें,
दुर्गुण अवजित रखते, शांत हृदय परिमा।
बाधाओं से लड़ते, ईक्षण से बचते,
आश्वासन कम याचें, साहस वर स्तरिमा।
निज के भाव विलोकें, 'बनना' तज, 'रहना',
मदद शरण कम जाते, कर्म निजी प्रतिमा।
हंस देह जड़ तन को, 'दशा' 'दिशा' देती,
स्वाध्यायी, सत्संगी, परे रखें जडिमा।
मीरा भारती।