युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
व्यक्ति खुद को स्वस्थ रखने के लिए क्या कुछ नहीं करता। पौष्टिक आहार का सेवन करता है, एक अच्छी दिनचर्या को अपनाता है, सुबह जल्दी उठता है और रात को समय पर सोता है, वॉक पर जाता है आदि। पर क्या सभी ऐसा कर पाते हैं? इसका जवाब है नहीं, क्योंकि ज्यादातर लोग आलस करके न तो सुबह जल्दी उठते हैं और इस दौड़ती-भागती जिंदगी के कारण खाना भी समय पर नहीं खा पाते हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि खुद को स्वस्थ कैसे रखें? अगर आप चाहें, तो कुछ योगासन करके इस तरफ एक कदम बढ़ा सकते हैं। बशर्ते आपको ये योगासन रोजाना करने होते हैं। तो चलिए जानते हैं ये कौन से योग हैं जिन्हें करने से आप स्वस्थ रह सकते हैं। आगे आप इनके बारे में विस्तार से जान सकते हैं...
ये हैं वो योगासन:-
गोरक्षासन
पहले आपको दोनों पैरों की एड़ी और पंजे को आपस में मिलाकर सामने रखना है और फिर सीवनी नाड़ी को एड़ियों पर रखते हुए उस पर बैठना है। ध्यान रहे इस दौरान दोनों घुटने जमीन पर लगे हुए हो। फिर हाथों को ज्ञान मुद्रा की स्थिति में घुटनों पर रखना है, जिससे मांसपेशियों में रक्त संचार ठीक रूप से होकर वो स्वस्थ होती हैं। यही नहीं, इससे इंद्रियों की चंचलता समाप्त करके मन में शांति प्रदान करने में भी लाभ मिलता है।
गोमुखासन
इसमें आपको दोनों पैर फैलाकर बैठनी है और बाएं पैर को मोडकर एडी को दाएं नितम्ब के पास रखना है। फिर दाएं पैर को मोडना है और बाएं पैर के ऊपर रखना है, जिससे दोनों घुटने एक-दूसरे के ऊपर आ जाए। अब दाएं हाथ को ऊपर उठाएं और पीठ की तरफ मोडें और साथ में हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दाएं हाथ को पकड़ना है। ध्यान रहे इस दौरान गर्दन और कमर सीधे रहे। एक मिनट तक ऐसा करें और फिर दूसरी तरफ से ऐसा ही करें। इस आसन को करने से यकृत, गुर्दे और वक्ष स्थल को बल मिलता है।
योगमुद्रासन
इस आसन को करने के लिए आपको पैर फैलाने हैं और बाएं पैर को उठाकर दाईं जांघ पर इस प्रकार लगाना है कि बाएं पैर की एड़ी नाभि के नीचे आ जाए। फिर दाएं पैर को उठाएं और बाएं पैर की एड़ी के साथ नाभि के नीचे मिलाना है। इसके बाद दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकड़ें और फिर स्वास छोड़ें। फिर सामने की तरफ झुकें और नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें। ये क्रिया आप हाथ बदलकर भी कर सकते हैं, जिसे करने से स्वभावन विनम्र और चेहरा सुंदर होने में मदद मिलती है।
स्वस्तिकासन
पहले जमीन पर मैट बिछाएं और पैर फैलाएं। फिर बाएं पैर को घुटने से मोड़ें और दाहिने जंघा और पिंडली के बीच इस प्रकार से स्थापित करना है कि बाएं पैर का निचला हिस्सा छुप जाए। इसके बाद दाहिने पैर के पंजे के तले को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के बीच में स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। वहीं, ध्यान मुद्रा में बैठें और रीढ़ सीधी करके श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें। ऐसे ही पैर बदलकर भी करें। इससे आपके पैरों का दर्द, पसीना आना, पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होने में मदद मिलती है।