युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
क्यू किसी पर निर्भर हम,
क्यू निकले किसी के बैगर दम,
हर तरह से आत्मनिर्भर होते है,
होजाए पहले स्वयं के हम।
ना हो किसी पर धन के लिए निर्भर,
ना मन बहलाने के लिए निर्भर,
शिशु को निर्भर होना शोभा देता है,
कर यकीन खुद पर और हो अग्रसर।
क्यू सहारे की जरूरत,
क्यू किसी की हुकूमत,
क्यू हर बात की भीख,
क्यू नही लेते ये सिख।
इज्जत मांगो ना, कमाओ,
पैसा मांगो ना, कमाओ,
स्वयं की निर्भरता को ना गवाओ,
प्यार मांगो ना, बस जताओ।
हर तरह से होते है आत्मनिर्भर,
करते हर तय जिंदगी का सफर,
निर्भरता एक गुलामी है,
खुद्दारी से फिर क्यू रहे हो डर।।
डॉ. माधवी बोरसे सिंह इंसा।
रावतभाटा (राजस्थान)