पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध -पिंडदान के लिए ये हैं भारत के पवित्र स्थान

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरु हो चुके हैं। पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों का पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता है। हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्रदान करने के लिए पिंडदान व श्राद्ध कर्म किया जाता है। मृत्यु के बाद कई तरह के कर्मकांड किए जाते हैं, जिसमें श्राद्ध, अस्थि विसर्जन और पिंडदान से जुड़े रीति रिवाज शामिल हैं। 

इसका उद्देश्य पूर्वजों या मृतकों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति है।

माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इस प्रथा की शुरुआत की। पितृपक्ष में श्राद्ध और पिंडदान करने के लिए देश में कई जगहें हैं, जो आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं। हरिद्वार से लेकर संगम, गया और बद्रीनाथ तक में पिंडदान किया जा सकता है। आइए जानते हैं पिंडदान के लिए भारत में पांच महत्वपूर्ण जगह। 

वाराणसी

उत्तर प्रदेश की काशी नगरी को भगवान भोलेनाथ का प्रिय स्थान माना जाता है। वाराणसी में भगवान शिव का भव्य मंदिर स्थित है, जो कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां भोलेनाथ की पूजा काशी विश्वनाथ के रूप में की जाती है। काशी पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है। बनारस के गंगा घाटों पर पिंडदान किया जाता है। यह श्राद्ध और पिंडदान के लिए सबसे उपयुक्त जगह मानी जाती है।

गया

बिहार का गया धाम पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। यहां पूर्वजों के पिंडदान के लिए देशभर से लोग आते हैं। कहते हैं कि फल्गु नदी के तट पर भगवान श्री हरि यानी विष्णु जी के अवतार रहते हैं। इस कारण इस पवित्र नदी में डुबकी लगाने से पाप दूर होते हैं और पवित्र स्थान पर पिंडदान से पूर्वजों को दुखों से मुक्ति मिलती है।

पुष्कर

श्राद्ध कर्म व पिंडदान के लिए सबसे प्रमुख स्थलों में से एक राजस्थान का पुष्कर है। पुष्कर में भगवान ब्रह्मा का इकलौता मंदिर स्थापित है। मान्यता है कि यहां स्थित पवित्र झील भगवान विष्णु की नाभि से निकली है। इस झील में स्नान मात्र से पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुष्कर में अश्विन माह में पिंड दान समारोह का आयोजन किया जाता है।

बद्रीनाथ धाम

भारत के प्राचीन और प्रसिद्ध चार धामों में से एक उत्तराखंड का पवित्र तीर्थ स्थल बद्रीनाथ धाम है। बद्रीनाथ धाम मंदिर अलकनंदा तट पर बसा है, जहां ब्रह्म कपाल घाट है। इस घाट पर पिंडदान किया जाना शुभ माना जाता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृपक्ष में बद्रीनाथ धाम जा सकते हैं।

अयोध्या

उत्तर प्रदेश के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक श्रीराम जन्मभूमि है, जो कि अयोध्या में स्थित है। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम का अयोध्या में जन्म हुआ था। अयोध्या सरयू नदी के किनारे बसी है। पितृपक्ष के मौके पर पूर्वजों के श्राद्ध व पिंडदान के लिए सरयू के तट पर आयोजन होता है। यहां पंडित विधिविधान से पूजा कराते हैं।