युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
संभालकर रखी हुई कविताओं में
या अनकही पंक्तियों में ..
किसी से मिलने की आस में
या उसके इंतज़ार में ..
जरूरी नींदों के देखें गए सपनों में
या नई-नई कल्पनाओं में ..
आंसूओं के गीलेपन में
या सुकून के पलों में ..
तेरी-मेरी रोजमर्रा की बातों में
या कुछ खास मुलाकातों में ..
कुछ जरूरी निभाए गए वचनों में
या ढेरों शिकायतों में ..
जवाबों की तलाशों में
या अनुत्तरित सवालों में ..
जीवन की सुबहों में
या अंत की रातों में..
ये तो अभी ठीक से ईश्वर को भी पता नहीं
और मनुष्य,, तलाश में है इसकी !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश