युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सहारनपुर। आज गांधी जयंती पर मोक्षायतन अंतर्राष्ट्रीय योग संस्थान, नेशन बिल्डर्स अकादमी और राष्ट्रवंदना मिशन द्वारा आयोजित सामूहिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए योगगुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने कहा कि 2 अक्टूबर को ही जन्म लेने वाले लालबहादुर शास्त्री जी कई अर्थों में अपने प्रेरक गांधी जी को पीछे छोड़ गए। उन्होंने बताया कि गांधी जी को बैरिस्टर और एक प्रभावी महानायक बनाने में उनकी समृद्ध पारिवारिक पृष्ठभूमि सहयोगी रही लेकिन शास्त्री जी ननिहाल में पलने वाले वो बच्चे रहे जिनके पास स्कूल जाने के लिए नाविक को देने के पैसे भी नहीं होते थे।
गांधी जी महान जननायक होते हुए भी पक्षपात पूर्ण रवैये की लिए जाने जाते हैं लेकिन शास्त्री जी का त्याग सत्यनिष्ठा कत्र्तव्यपरायणता और स्वाभिमानी अपरिग्रह प्रधानमंत्री होने पर भी लड़खड़ाया नहीं। उनके पुत्रगण भी साइकिल पर स्कूल जाने वाले आम बच्चे ही रहे। शास्त्री जी अहिंसा के पुजारी होते हुए भी अहिंसा की रक्षा के लिए अक्रांता पाक को लाहौर तक खदेड़ने और अमेरिका को आंख दिखाने की सामथ्र्य रखते थे।
पांच फुट की छोटी कद काठी के शास्त्री जी की ताशकंद समझौते के दौरान जब पौने सात फिट लंबे पाक राष्ट्रपति अयूब से वार्ता का अनुभव पूछा गया तो शास्त्री जी ने तपाक से कहा कि मैं सर उठा कर बात कर रहा था और अयूब साहब नजरें नीची कर के वह पहले ऐसे जननायक थे जिनकी पुकार पर पूरे देश ने सोमवार का व्रत रखना शुरू किया और आमजन ने भी मकान की छतों तक पर फसल उगा कर अन्न के मामले में अमेरिका की दादागिरी को खरा जवाब दिया।
योग गुरु बोले कि ये सच ही कहा है कि बड़े पेड़ की छाया में छोटे पौधे पनप नहीं पाते। उन्होंने चिंता जताई कि आज गांधी जयंती की चर्चाओं में उनके सबसे खरे अनुयाई लाल बहादुर शास्त्री का जिक्र न होना उनके योगदान को कमतर आंकना न हो जाए! आज के दिन जन्मी दोनो महान विभूतियों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धानत नमन करते हुए योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने कहा कि आज गांधी जी होते तो अपने लिए राष्ट्रपिता शब्द सुनकर बहुत दुखी होते और शर्मिंदा भी।
जिन भगवान कृष्ण की गीता को हर समय साथ रखकर और जिन राम के ष्रघुपति राघव राजा राम... को जुबान पर रखकर उन्होंने जीना सीखा वह राम कृष्ण तो आज भी इस महान भारत के सपूत हैं और हमने चाटुकारिता या स्वार्थ की हदें पार करते हुए गांधी जी को राष्ट्रपिता कहना शुरू कर दिया जो गांधी जी के प्रति सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि गांधी जी अपने लिए अन्य अनेक महानायकों की तरह इस राष्ट्र के सपूत शब्द सुनना ही पसंद करेंगे।
आयोजन मे मुख्यतरू डॉ. अशोक गुप्ता, मुकेश शर्मा एडवोकेट, श्रीराम त्रिपाठी, विजय सुखीजा, डॉ. आयुष धवन, सोनाक्षी, मंजू गुप्ता, सुभाष वर्मा, पूनम वर्मा, नंद किशोर शर्मा, ललित वर्मा, आलोक श्रीवास्तव, वीरेंद्र नारायण पाठक सुनील पंत ,मोहित ढल्ला,अमरनाथ, मिथलेश शर्मा, सुरभि सेठी, यश राणा, पुरु वर्मा, नारायण सराफ, सुमन्यु सेठ, पियूष खेड़ा, प्रदीप कंबोज राम कश्यप, अजीत सिंह शर्मा व आस्था वर्मा आदि मौजूद रहे।