युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
दिपावली के पावन पर्व पर कुछ लोगों ने कहा कि रात को सोते समय अपने बच्चो के सर के पास चुपके से गिफ्ट रख दें और सुबह बताएं कि ये गिफ्ट हमारे इष्ट उन्हें दिया है बच्चे सेंटा को भूल जाएगें/
मतलब हम अपने बच्चे से ही छुपाएं और झूठ बोलें और यही बच्चा जब बड़ा होकर झूठ बोले कुछ छुपाए तो हमें कितना अच्छा लगेगा हम तिलमिला जाएगें ये नहीं सोचेंगे कि सिखाया किसने है/
दूसरी बात हम छिपाकर भी अपने बच्चो से छिपा नहीं सकते हैं पोल खुलना लाजिमी है और पोल खुलने पर आपके प्रति धर्म के प्रति उनके मस्तिष्क में क्या छवि बनेगी ? ये भी सोचा है?
#हम झूठ का सहारा क्यों लें ? हमारे पुरोहित धर्म गुरु वरिष्ठ जन भी तो प्रत्यक्ष रूप से हमारे बच्चो के आशीर्वाद के साथ छोटा सा गिफ्ट (उसमें धार्मिक संस्कार देने वाली पुस्तकें हो सकती है) दे सकते हैं
उससे हमें अपने बच्चो से झूठ बोलने और छिपाने की जरुरत नही/ दूसरी बात गुरु का आशीर्वाद मिलेगा बच्चो को भी/ तीसरी बात बच्चो के मन में स्वत: ही सम्मान का भाव पैदा होगा / चौथी बात ज्ञान और संस्कार मिलेगा
गुरु वैसे भी लेता कुछ नहीं केवल और केवल देखा अपवाद को छोड़ कर /और गुरु के पास जो है वह समाज व ईश्वर प्रदत्त ही तो है समाज का मिला / और उसका थोडा़ सा अंश समाज के बच्चो को और ईश्वर प्रदत्त बाल रुप भगवान रुप को लौटाने में गलत तो नहीं होना चाहिए अगर लोभ मोह न हो तो।
मौलिक अप्रकाशित
उदय राज वर्मा उदय
छिटेपुर सैंठा गौरीगंज अमेठी उत्तर प्रदेश
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