युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
जब..सूरज उगेगा मनमाने तरीके से
किसी भी दिशा में ,
जब.. चांद आ-जा सकेगा धरती पर भी
हर किसी के लिए ,
जब.. तारों की भी अपनी दुनिया होगी
आसमां से जरा अलग ही ,
जब..नीम और पलाश हथों में डाले हाथ
बातें करते दिखेंगें सड़कों पर ,
जब.. भगवान् की उपस्थिति नहीं होगी
सिर्फ "उसके ही घरों" में ,
जब..अच्छा शहरी बनते-बनते यूं ही
हम बनें रहेंगें थोड़े ग्रामीण ,
जब.. सिर्फ "बीजों" की ही खातिर
नहीं रोपेंगें "पौध" ,
और..
जब.. सिर्फ "लिखने" के लिए ही
कविता नहीं लिखेगा कवि !!
सुनों..
हम तब चलेगें साथ-साथ
प्रेम करते हुए !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश