युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
मैं शून्य भी हूँ।
मैं मौन भी हूँ।
जीवन के रहस्यों की
खोज में. ....
दुविधाओं में भी हूँ।
कोशिश में हूँ
सुलझाने के
मगर ......
एक डोर दूसरी डोर से
खिंचती चली जाती हैं ।
जीवनांत भी कहाँ?
ये खोज पूरी हो पाती हैं ।
निकल भी नही सकती,
बुद्ध ,महावीर की तरह
रहस्यों की खोज में,
क्योंकि
शून्य और मौन से भरा जीवन
द्वि -विधा की
उलझनों में उलझा,
अनसुलझा ही चलता
जाता हैं ।
शून्य से जीवन से
शून्य के पार ।
गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता'
कोटा, राजस्थान