युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
उससे बेहतर बनों ।
इससे बेहतर बनों ।
न जाने किस किस से,
बेहतर बनों ।
बेहतर तो बनूं,
पर क्यूं बेहतर बनूँ ।
किस लिए बेहतर बनूँ ।
इस बेहतरी के जाल में,
मकड़ी सी क्यूं फंसू ।
कमजोर हूँ तो,
कमजोरी को ताकत बना लूँ ।
क्यूं ना अपनी मिसाल,
खुद को बना लूँ ।
यूँ दूसरों से होड़ कर
क्यूं
प्रतिस्पर्धा की आग में जलूँ ।
जैसी भी हूँ मैं
बेहतर हूँ।
क्यों बेहतरी की आग में जलूँ ।
गरिमा राकेश गौतम 'गर्विता '
कोटा,राजस्थान