युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
भोले के भोले से भगत हम,
सब झूमें और नाचें गाएं,
आओ झांझ-मझीरा बजाएं,
और भोले को हम भी रिझाएं।
भोले के भोले-से ....
आओ गौरी को भी हम मनाएं,
मेंहदी हाथों में थोड़ी रचाएं,
कंधौरा कमर में बंधाएं,
पैरों में पैजनियां सजाए।
भोले के भोले-से ....
घूंघर-से गौरी के हैं बाल,
गालों पर जो लहराएं,
माथे पर बेंदा लगाएं,
देख भोले तनिक शरमाएं।
भोले के भोले-से ....
भोले बिन कुछ नहीं है भाता,
भोले लगते जैसे माता,
दोनों का जब साथ मिले तो,
बाग-बाग फिर मन हो जाता।
भोले के भोले-से....
गौरी-भोले दोनों संग आए,
देख भगत सारे मुस्काए,
झूम उठी भक्तों की टोली,
जैसे खाली भंग की गोली,
झूम-झूम फिर नाचें-गाएं।
भोले के भोले-से ...
(125 वां मनका)
कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'
117सी स्पेशल गांधीनगर, इन्दौर