समस्त विश्व का अभिमान है हिंदी

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


माथे पर हिन्दी की बिंदी

भाषाओं का ज्ञान भी है

करते है तन - मन से वंदन

विश्व का सम्मान भी है...!


हिंदोस्ता की बहार है हिंदी 

मां भारती की शान है हिंदी

स्वरों की हर एक गूंज में

संस्कारों का मान है हिंदी...!


अ से आ की मात्रा बन जाती

टूटे अक्षरों को सहारा देती

ऐसी साहित्यिक रसधार है हिंदी

समानता का अधिकार है हिंदी...!


गागर में जो सागर भर दे

शब्दों का ऐसा समाहार है हिंदी

मानवता की सीख सिखला दे

ऐसी भावनाओं का द्वार है हिंदी..!


आप और तुम का भेद बतलाए

विभिन्न रसों का ज्ञान है हिन्दी

राजभाषा से राष्ट्रभाषा कहलाए 

ऐसा हीरो का हार है हिंदी...!


सुंदरता का सार है हिंदी

संस्कृत का अवतार है हिंदी

नित - नित उन्नति करती जाए

ऐसा एक उपहार है हिंदी...!


हिंदी की दुर्गा महादेवी

प्रसाद छायावाद के ब्रह्म कहलाते

पंत प्रकृति के विष्णु बनकर

निराला कानन की कविता लिख जाते..!


गद्य - पद्य को विस्तार जो देती

ईश्वर के निकट जो रहती

ऐसा अनुपम व्यवहार है हिंदी

समस्त विश्व का अभिमान है हिंदी

समस्त विश्व का अभिमान है हिंदी....!!


-- मनीषा मीत

जयपुर, राजस्थान