युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
अबला तेरी यही कहानी।
कब बदलेगी सोच पुरानी?
मित्र बनें सारे नर नारी,
क्यों न होती सोच हमारी।
सज संवर कर नारीत्व को खिलने दो,चहकने महकने दो।
न मलिनता लाओ न वासनात्मक को आने दो।
भावों का ही तो सुंदर होना उज्ज्वल होना मानवता की संजीवनी है।
पर होगा तभी यह जब हम सबहिं की सोच हो सुंदर स्वस्थ।
फिर न होगी कोई अबला नारी।
✍️ डॉ० प्रेरणा गर्ग दिल्ली