युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
प्रतिदिन..नन्हीं-नन्हीं कुछ चिड़ियां
चुपके से प्रवेश कर जाती हैं
मेरी कविताओं में !!
शुरुआत में कुछ सहमी सी थी
कुछ डर भी था ,
पर अब इतनी चहकतीं हैं कि
कविताएं भी हंसती-खेलती रहती हैं सारा दिन !!
वे आसमान नापतीं उड़ती हैं..बतियातीं हैं पेड़ों से ,
दिन-भर के सारे किस्से-कहानीं सब सुना देती हैं ,
और..ले आती हैं तिनके घोंसले के लिए !!
मैं चाहती हूं वे आती रहें रोज इसी तरह
मेरी कविताओं में ,
ताकि, आसमान भी भरा रहे
चहचाहट से उनकी !!
सुनों, अब जरूरत नहीं है मुझे "ट्वीटर" की !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश