युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
स्नेहिल वात्सल्यपूर्ण भाई बहन का नाता
विपदा अगर पडे एक पर दूजा दौडा आता
माता पिता से कह नहीं पाती मन की सारी बातें
बिन कहे वेदना मेरे हृदय की भाई समझ जाता
बदले में कुछ नहीं मांगे,डाटूं तो भी मुस्कुराता
निश्छल प्रेम सुधा से पूरित भाई बहन का नाता
सुत सदृश स्नेह उमडे,बिन कहे कष्ट समझूं उसका
माता की भांति वो भी मुझको सदा पुकार लगाता
भाई बिना अपनी यह दुनिया रहती बहुत अधूरी
तुझ संग बातें हो जाए तो हो जाती है यह पूरी
प्यार भरी इस दुनिया में यूं तो सब अपने ही हैं
पर तुझसे बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं भाता
एक अनोखा रिश्ता है इसे समझ नहीं कोई पाता
चाहे भाई छोटा ही हो फ़र्ज़ बडा बनकर निभाता
छोड़ अगर वह चला जाए तोजग में कुछ नहीं भाता
रिश्तों के मेले में हृदय, हृदय खडा अकेला रह जाता
स्वरचित एवं मौलिक
अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश