शिक्षक हूं भई प्राथमिक शिक्षक
मेरी नियुक्ति यूं तो
पढ़ाने के लिए हुई है,
पर किसी दिन
मुझे पढ़ाने को मिल जाए तो
ये नवाचार नयी है,
ऊपर से नीचे तक
अधिकारियों का दबाव रहता है,
पर ये न मानिये कि उन्हें
हमारे बच्चों से लगाव रहता है,
अरे भई उन पर भी मानने को
अपने सीनियरों का
बेमतलब का सुझाव रहता है,
अब क्या करें
पढ़ाना छोड़कर बाकी सब
कार्य करने होते हैं,
कभी कागजात तैयार करना,
कभी चुल्हा सुलगाना,
तो कभी बच्चों के
और कुछ के साथ
हाथ भी धोने होते हैं,
हर प्राथमिक शिक्षक से पूछिए
तो यहीं कहेंगे कि
हम तो सरकारी फरमानों के
विडंबनाओं पर
हमेशा सिर धर के रोते हैं।
राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़