घर घर में तिरंगा, फहरा लो, ओ मेरे भारत वासी।
ओ मेरे भारत वासी।।
उन वीरों को, याद तुम कर लो,पर चहरे पर न लाना उदासी।
चहरे पर न लाना उदासी।।
दुश्मन को धूल चटाकर के, ज़ख्मों को सहते रहते हैं,
वो आज भी देश की सीमा पर, पहरा देते रहते हैं,
अमावस की रात न आए, वहां रहती है पूरनमासी।
घर घर में तिरंगा, फहरा लो, ओ मेरे भारत वासी।।
ओ मेरे भारत वासी ---
अपने वतन की खुशियों का, खुशियों का वो संसार हैं,
पूरे देश का सार हैं वो,भारत का वो आधार हैं,
छुए न स्वारथ लालच उनको, वो हैं ,जग के अविनाशी।
वो हैं जग के अविनाशी।
ओ मेरे भारत वासी।।
हे! मेरे वतन के लोगो, आयी फिर से वही आजादी,
वो दुश्मन अब थर्र थर्र कांपे, होगी उसकी बर्बादी,
विश्व गुरू बनेगा भारत, दुनिया होगी चरणों की दासी।
घर घर में तिरंगा, फहरा लो, ओ मेरे भारत वासी।।
ओ मेरे भारत वासी ----
धन्य धन्य मेरी मातृभूमि, और धन्य हो मेरी माता,
तेरी कोख से जन्म लिया, धरती मां से गहरा नाता,
वीरों के चरणों पुष्प चढ़ाएं, तीनों लोकों के वासी।
घर घर में तिरंगा, फहरा लो ओ मेरे भारत वासी।।
ओ मेरे भारत वासी ---!
डॉ. अनीता चौधरी (मथुरा से)