Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी आज यानी 31 अगस्त, बुधवार को है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले श्रीगणेश का आवाह्न किया जाता है। भगवान श्रीगणेश को रिद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का प्रदाता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश संकट, कष्ट, दरिद्रता और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। जानिए गणेश चतुर्थी के दिन किन मुहूर्त में भूलकर भी न करें गणपति स्थापना-
इन मुहूर्त में न करें गणपति स्थापना-
राहुकाल- 12:21 पी एम से 01:57 पी एम।
यमगण्ड- 07:34 ए एम से 09:10 ए एम।
गुलिक काल- 10:46 ए एम से 12:21 पी एम।
दुर्मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम।
वर्ज्य- 07:57 ए एम से 09:35 ए एम।
भद्रा- 05:58 ए एम से 03:22 पी एम और 05:48 ए एम, सितम्बर 01 से 07:24 ए एम, सितम्बर 01
जानें ज्योतिषीय मत-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहुकाल, यमगण्ड, गुलिक काल, दुर्मुहूर्त, वर्ज्य और भद्राकाल को अशुभ मुहूर्त में गिना जाता है। इस अवधि में शुभ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। मान्यता है कि इस अवधि में किए गए कार्यों का शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होता है।
गणेश चतुर्थी पूजन विधि-
सबसे पहले सुबह उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
इसके बाद तांबे, सोने, चांदी या मिट्टी की गणेश प्रतिमा की स्थापना करें।
अब भगवान गणेश को वस्त्र अर्पित करें।
भगवान गजानन को सिंदूर अर्पित करें।
गणेश जी को 21 दूर्वा दल अर्पित करने के बाद उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।
5 लड्डू भगवान गणेश को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों में बांट दें।
शाम के समय भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन करें।
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी कथा और गणेश चालीसा पढ़ना उत्तम माना गया है।
गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें।
व्रती शाम के वक्त भोजन ग्रहण करें।