बने तिरंगा शान, देश हित योद्धा बनते |
करें देश का मान, सदा वो संकट सहते ||
सरहद पर हो जंग, प्राण निज अपने खोते |
दुनिया होती दंग, देख ये हर्षित होते ||
सरहद रक्षित हो सदा, लहरे परचम शान से |
गाये जन गण गान को, बढ़ते जाये मान से ||
बसे देश में प्राण, तिरंगा हमको प्यारा |
यही हमारी जान, अमर हो जग में सारा ||
बने सिपाही आज, करे वो रक्षा सारी |
करते पूरे काज, लक्ष्य है रक्षित नारी ||
देश प्रेम के भाव से, बढ़ती सबकी शान है |
वीर धरा के लाल है, करते ध्वज का मान है ||
रखना इसकी शान, यही अब जन -जन कहते |
भारत की रख आन, कष्ट खुद सारे सहते ||
जान वतन पर दे लुटा, सदा अरि से वो लड़ते |
श्वेत प्रेम का रंग, शांति से सब है पढ़ते ||
हरा धरा का रंग है, करे केसरी मान है |
साधक श्रम के तुम बनों,गाते जन-गण गान है ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश