भारत की मिट्टी से
मुझे बहुत प्यार है
यही मेरी मातृभूमि
मेरा घर-द्वार है।।
इस पावन मिट्टी में
मैंने जन्म लिया है
तूने यह मुझको
बड़ा सौभाग्य दिया है।।
तूने ही मुझे अपनी
गोद मे खिलाया है
आशीष के आँचल में
मुझको बिठाया है।।
तेरी मिट्टी के रज में
मैंने सुख पाया है
तभी इस मिट्टी को
भाल से लगाया है।।
तेरी महिमा जग में
कण-कण में समाया है
तुम कितने विराट हो
यह बोध कराया है।।
तूमने अमृत जल
मुझको पान कराया है
तूने ही सुस्वाद अन्न को
ग्रहण कराया है।।
हम पर तेरा उपकार है
ये सबसे बड़ा उपहार है
सैदेव हम तेरे ऋणी रहेंगे
ये मेरा तुझसे मनुहार है।।
तुमसे मेरा अस्तित्त्व है
तुमसे मेरी पहचान है
तुमने सब कुछ दिया
शतशत तेरा स्तुति गान है।।
इतना तो मैं कर सकता हूँ
सर्वस्व समर्पित करता हूँ
तेरी मान-मर्यादा बनी रहे
तनमन अर्पित मैं करता हूँ।।
रचना-
अशोक पटेल "आशु"
तुस्मा,शिवरीनारायण(छ ग)
9827874578